भिवंडी तालुका में रिश्वतखोर ग्रामसेवक, कोनगांव ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का आक्रोश, तत्काल स्थानांतरण और सख्त कार्रवाई की मांग!
भिवंडी: रिश्वतखोरी के कलंकित ग्राम सेवक अधिकारी मनीष महाजन की भिवंडी तालुका के कोनगांव ग्राम पंचायत में नियुक्ति से गांव के नागरिकों में गुस्से की लहर फैल गई है। ग्रामीणों ने दृढ़ निश्चय कर लिया है कि "भ्रष्ट लोगों को आश्रय की आवश्यकता नहीं है, विकास को समर्थन की आवश्यकता है" और उन्होंने महाजन के खिलाफ अपने अधिकारों के लिए जोरदार लड़ाई शुरू कर दी है। इसके साथ ही ग्रामीणों द्वारा कई प्रश्न खड़े हो रहे है। जिनका आरोप है कि भ्रष्ट अधिकारी मनीष महाजन जब कवाड़ ग्रामपंचाय में भ्रष्ट्राचार कर सकते है तो कोनगांव ग्रामपंचायत में क्यों नहीं ? ऐसे भ्रष्ट अधिकारी की नियुक्ति से गांव का विकास कार्य में रुकावट आ सकती है। ग्रामीणों का मानना है कि अब कोनगांव का भविष्य खतरे में पड़ गया है। जिसके कारण ग्रामीण आक्रोश में है। जिनका कहना है कि जब गांव विकास को राह पर है तो रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप से घिरा ग्रामसेवक अधिकारी गांव के गेट पर कैसे हो सकता है ?
*मनीष महाजन के काले कारनामे उजागर*
ग्रामीणों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, महाजन ने पहले भी भिवंडी की कई ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग किया था, जरूरतमंदों से सब्सिडी के लिए पैसे ऐंठे थे और कार्यालय में बाधा डालकर आम जनता को परेशान किया था। अब जब ऐसा व्यक्ति ईमानदारी के लिए जाने जाने वाले गांव में काम कर रहा है, तो यह ग्रामीणों के धैर्य की परीक्षा है।
*ग्राम पंचायत पर मंडरा रहा बदनामी का साया- ग्रामीणों की सख्त चेतावनी*
अपनी प्रगतिशीलता के लिए प्रसिद्ध कोनगांव ग्राम पंचायत को अब बदनाम करने के अभियान के तहत बदनाम किया जा रहा है। गांव वालों का कहना है, "हम ईमानदारी से टैक्स देते हैं और सरकार हमारे ऊपर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी नियुक्त करती है? यह जनता के साथ सीधा धोखा है।"
मांगें स्पष्ट हैं - रुख दृढ़ है
ग्रामीणों ने आक्रामक रुख अपनाते हुए प्रशासन के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
1. मनीष महाजन की नियुक्ति तुरंत रद्द की जाए।
2. उनकी गहन जांच की जानी चाहिए और उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए।
3. ऐसे व्यक्तियों को तालुका की किसी भी ग्राम पंचायत में दोबारा नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।
4. हमें ऐसा अधिकारी चाहिए जो पारदर्शी हो और जनहित के लिए लड़े।
"आंदोलन की चिंगारी प्रज्वलित होगी!" -भगवानदास विश्वकर्मा की चेतावनी
शिकायतकर्ता भगवानदास विश्वकर्मा ने प्रशासन को सीधी चेतावनी देते हुए कहा, "अगर आठ दिन के अंदर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो उग्र आंदोलन होगा और इसके परिणामों के लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा। कोनकर के धैर्य की परीक्षा मत लीजिए!"
गांव वाले अब एकजुट हो गए हैं - इस गांव में अन्याय, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता का कोई अंत नहीं है! उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया है कि प्रशासन इस पर तत्काल निर्णय ले, अन्यथा ग्रामीणों का आक्रोश बेकाबू हो जाएगा।
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