भिवंडी: हज़रत दीवान शाह रहमतुल्लाह अलैह के उर्स के मौके पर अल्हाज सईद नूरी साहब और रज़ा एकेडमी की टीम की हाज़िरी
भिवंडी । युसूफ मंसूरी
भिवंडी में हज़रत दीवान शाह रहमतुल्लाह अलैह के उर्स के मौके पर रज़ा एकेडमी के संस्थापक, असीर-ए-मुफ्ती-ए-आज़म, अल्हाज मोहम्मद सईद नूरी साहब, सैयद जमील अहमद जानी मियां, अध्यक्ष रज़ा एकेडमी जलना ब्रांच, और उनकी टीम ने दरगाह पर हाज़िरी दी। इस मौके पर दरगाह दीवान शाह के ट्रस्टी, रज़ा एकेडमी भिवंडी ब्रांच के कार्यकर्ता, तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत और भिवंडी के स्थानीय लोगों ने उनका शानदार स्वागत किया।
हाज़िरी के दौरान, उन्होंने दरगाह हज़रत दीवान शाह की ज़ियारत की और पूरे हिंदुस्तान के लोगों के लिए अमन और शांति की दुआ की। इस मौके पर अल्हाज सईद नूरी साहब ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर चर्चा करते हुए कहा कि इस फैसले में रज़ा एकेडमी की अहम भूमिका रही है। उन्होंने आगे कहा कि रज़ा एकेडमी हमेशा ऐसे मामलों में आगे रही है और (इंशाअल्लाह) अल्लाह और उसके रसूल ﷺ के सदके हमेशा हक और इंसाफ के लिए काम करती रहेगी।
हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ की दरगाह के खिलाफ दायर केस पर चिंता
सईद नूरी साहब ने हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह के खिलाफ अदालत में दायर किए गए केस पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह केस न केवल हिंदुस्तान के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है बल्कि देश के अमन और शांति को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि जिस व्यक्ति ने यह केस फाइल किया है, उसके खिलाफ पहले से ही कई मुकदमे चल रहे हैं। हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़, जो पूरी दुनिया के सूफी संतों के लिए एक मिसाल हैं, उनकी दरगाह पर 813 सालों से ख्वाजा के आशिक अपनी मोहब्बत और अकीदत का इज़हार कर रहे हैं। ऐसे में 2024 में कुछ लोग अपनी पब्लिसिटी और राजनीति के लिए सूफी संतों की तालीमात और देश के अमन को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, जो देश की एकता के लिए खतरा है।
सईद नूरी साहब ने आगे कहा कि हिंदुस्तान का संविधान और कानून, खासतौर पर प्लेस ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न्स) एक्ट, 1991, जो पूजा स्थलों के रूपांतरण को प्रतिबंधित करता है और उनकी धार्मिक स्थिति को 15 अगस्त 1947 की स्थिति में बनाए रखने का प्रावधान करता है, इस मामले में बहुत स्पष्ट है। ऐसे कानूनों का उद्देश्य देश में अमन और शांति बनाए रखना और विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सद्भाव को मजबूत करना है।
अमन और शांति का पैगाम
नूरी साहब ने सभी लोगों से अपील की कि वे सूफी संतों की तालीमात और उनके पैगाम को समझें और देश में अमन और शांति का माहौल बनाए रखें। उन्होंने आगे कहा कि रज़ा एकेडमी ने हमेशा सूफी संतों के मिशन को आगे बढ़ाया है और अजमेर शरीफ की दरगाह के लिए भी अजमेर, राजस्थान की अदालत में हाज़िर होकर अपना किरदार निभाया है।
दरगाह हज़रत दीवान शाह के ट्रस्टी, रज़ा एकेडमी भिवंडी ब्रांच के कार्यकर्ता, तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत और भिवंडी के स्थानीय लोगों ने भी इस बात को मजबूती से रखा कि सूफी संतों के पैगाम को समझना और फैलाना ही देश की असली पहचान है।
यह प्रोग्राम दरगाह के भावुक माहौल में समाप्त हुआ, जहां सभी ने मिलकर देश के अमन और एकता के लिए दुआ की।
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